सूर्योदय  या  सूरज  वह क्षण होता है जब सुबह सूर्य का ऊपरी अंग क्षितिज पर दिखाई देता है।   [१]  यह शब्द सौर डिस्क के क्षितिज और इसके साथ वाय...

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सूर्योदय या सूरज वह क्षण होता है जब सुबह सूर्य का ऊपरी अंग क्षितिज पर दिखाई देता है। [१] यह शब्द सौर डिस्क के क्षितिज और इसके साथ वायुमंडलीय प्रभावों को पार करने की पूरी प्रक्रिया को भी संदर्भित कर सकता है। 


सूर्योदय और सूर्यास्त के समय, जब वायुमंडल के माध्यम से रास्ता लंबा होता है, नीले और हरे रंग के घटकों को लगभग पूरी तरह से हटा दिया जाता है ताकि उस समय दिखाई देने वाले लंबे समय तक तरंगदैर्ध्य नारंगी और लाल रंग की होजाए। शेष लाल सूरज की रोशनी फिर बादल की बूंदों और अन्य अपेक्षाकृत बड़े कणों द्वारा क्षितिज लाल और नारंगी को प्रकाश में बिखेर सकती है। [[


] प्रकाश के छोटे तरंग दैर्ध्य को हटाने का कारण वायु के अणुओं और कणों द्वारा दृश्य प्रकाश की तरंग दैर्ध्य की तुलना में बहुत कम (व्यास में ५० एनएम से कम) है। [[] [९] बादल की बूंदों और अन्य कणों के बिखरने से व्यास या सूर्य के प्रकाश की तरंगदैर्घ्य (६०० एनएम से अधिक) की तुलना में बड़ा होता है, जो Mie बिखरने के कारण होता है और यह दृढ़ता से तरंग दैर्ध्य पर निर्भर नहीं होता है। मेई स्कैटरिंग बादलों द्वारा बिखरे प्रकाश के लिए जिम्मेदार है, और सूर्य के चारों ओर सफेद प्रकाश के दिन के प्रभामंडल के लिए भी (सफेद प्रकाश के आगे बिखराव )। 

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Sunshine धूप  सूर्यकिरणों से सीधे प्रकाश और गरमी को कहते हैं। इसके अंतर्गत  विकिरण  के दृश्य अंश (visible parts) ही नहीं आते, वरन् अदृश्य न...

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Sunshineधूप सूर्यकिरणों से सीधे प्रकाश और गरमी को कहते हैं। इसके अंतर्गत विकिरण के दृश्य अंश (visible parts) ही नहीं आते, वरन् अदृश्य नीललोहित (blue and red) और अवरक्त किरणें (infrared) भी आती हैं। इसमें सूर्य की परावर्तित और प्रकीर्णित किरणें सम्मिलित नहीं 
हैं।




भूपृष्ठ और उसके वायुमंडल को गरम करने में धूप का विशेष महत्व है। किंतु आतपन (insolation), अर्थात् किसी स्थान के भूपृष्ठ को गरम करने, में धूप का अंशदान दिवालोक की अवधि के अतिरिक्त अनेक अन्य बातों पर भी निर्भर करता है, जिनमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण हैं :
  • क्षितिज के समतल पर सूर्यकिरणों की नति
  • सूर्य से पृथ्वी की दूरी
  • वायुमंडल में पारेषण, अवशोषण एवं विकिरण

किसी दिन, किसी स्थान पर धूप की कुल अवधि बदली, कोहरा आदि आकाश को धुँधला करनेवाले अनेक घटकों पर निर्भर करती है। धूप अभिलेखक (Sunshine Recorder) नामक उपकरण से वेधशालाओं में धूप के वास्तविक घंटों का निर्धारण किया जाता है। इस उपकरण में एक चौखटे पर काच का एक गोला स्थापित रहता है, जिसे इस प्रकार समंजित किया जा सकता है कि गोले का एक व्यास ध्रुव की ओर संकेत करे।


गोले के नीचे उपयुक्त स्थान पर समांतर रखे, घंटों में अंशाकिंत पत्रक (card) पर सौर किरणों को फोकस करते हैं। सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच जब भी बदली, कोहरा आदि नहीं होते, तब फोकस पड़ी हुई किरणें पत्रक को समुचित स्थान पर जला देती हैं।








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